Metro In Dino - Bollywood Movie Review in Hindi

 

Metro In Dino - Bollywood Movie Review in Hindi 

Metro in dino


मेट्रो... इन दिनों: प्यार के अलग-अलग रंगों में डूबी एक खूबसूरत कहानी

"इश्क नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिए..." जब जिगर मुरादाबादी का ये शेर सुनते हैं, तो लगता है जैसे प्यार कोई सीधा रास्ता नहीं, बल्कि कांटों भरी पगडंडी है। अनुराग बसु की नई फिल्म 'मेट्रो... इन दिनों' इसी कांटों भरे रास्ते पर चल रहे कुछ किरदारों की कहानी है, जो अलग-अलग उम्र, अलग-अलग शहरों और अलग-अलग हालात में प्यार की जद्दोजहद से गुजर रहे हैं।

कहानी में क्या है खास?

मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरों में फैली ये कहानियाँ उन रिश्तों की हैं, जो बाहर से परफेक्ट दिखते हैं, लेकिन अंदर कहीं न कहीं अधूरे हैं।

  • मुंबई: मोंटी (पंकज त्रिपाठी) और काजोल (कोंकणा सेन शर्मा) शादी के 20 साल बाद अपनी लाइफ में स्पार्क ढूँढ रहे हैं। मज़ेदार ट्विस्ट ये है कि मोंटी डेटिंग ऐप पर जिसे डेट करता है, वो कोई और नहीं बल्कि खुद उसकी पत्नी है!

  • पुणे: काजोल की माँ शिवानी (नीना गुप्ता), जो अपनी जवानी के प्यार परिमल (अनुपम खेर) को छोड़ कर एक ठहरी हुई गृहस्थी जी रही है।

  • दिल्ली-बेंगलुरु: चुमकी (सारा अली खान) अपनी शादी से पहले पार्थ (आदित्य रॉय कपूर) से मिलती है और उसके दिल में सवाल उठते हैं कि क्या वो सही इंसान से शादी कर रही है?

  • बेंगलुरु: श्रुति (फातिमा सना शेख) और आकाश (अली फजल) के बीच करियर और परिवार के सपनों की खींचतान है।

  • कोलकाता: परिमल अपने अकेलेपन के साथ जी रहा है, मगर अपनी बहू के भविष्य को लेकर फिक्रमंद है।

इन सबके बीच एक और कहानी है — मोंटी और काजोल की 15 साल की बेटी, जो अपनी पहचान और सेक्शुएलिटी को लेकर उलझन में है।

फिल्म कैसी बनी है?

अनुराग बसु ने इन अलग-अलग कहानियों को बड़ी खूबसूरती से पिरोया है। किरदार परफेक्ट नहीं हैं, बल्कि हमारी-आपकी तरह flawed हैं, और शायद यही वजह है कि उनकी कहानियाँ दिल को छू जाती हैं।

हालाँकि, इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी धीमी हो जाती है और इतने सारे किरदारों को बैलेंस करने के चक्कर में कहीं-कहीं कहानी बिखरती सी लगती है, लेकिन क्लाइमेक्स तक पहुँचते-पहुँचते वो सभी धागे एक प्यारे से अहसास में बंध जाते हैं।

म्यूजिक कैसा है?

फिल्म म्यूजिकल टच के साथ पेश की गई है। प्रीतम, पापोन और चैतन्य राघव के गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं। कुछ लोगों को ये स्टाइल पसंद आ सकता है, तो कुछ को शायद ये बातें बीच-बीच में खलेंगी। लेकिन कैसर उल जाफरी और मोमिन खान मोमिन जैसे शायरों की शायरी इसे soulful बना देती है।

कौन छा गया?

  • पंकज त्रिपाठी और कोंकणा सेन शर्मा: पूरी फिल्म में ये दोनों अपनी केमिस्ट्री और परफॉर्मेंस से बाज़ी मार ले जाते हैं। मोंटी-काजोल की कहानी सबसे relatable और entertaining है।

  • सारा अली खान - आदित्य रॉय कपूर: इनका ट्रैक थोड़ा और गहराई ले सकता था, लेकिन दोनों फ्रेश और इमोशनल लगे।

  • नीना गुप्ता - अनुपम खेर: इन दोनों ने अपने-अपने किरदारों में maturity और vulnerability दोनों दिखाईं, बस थोड़ी और screen time मिलती तो मज़ा आ जाता।

  • फातिमा सना शेख - अली फजल: इनकी कहानी आज के दौर के करियर बनाम परिवार की उलझन को ईमानदारी से दिखाती है।

  • सपोर्टिंग रोल में सास्वता चटर्जी और बाकी कलाकार भी बेहतरीन हैं।

क्यों देखें ये फिल्म?

अगर आप प्यार की आसान, dreamy कहानियाँ ढूँढ रहे हैं तो ये फिल्म शायद आपको मुश्किल लगे, लेकिन अगर आप असली रिश्तों के टूटने, जुड़ने और evolve करने की सच्चाई देखना चाहते हैं, तो 'मेट्रो... इन दिनों' ज़रूर देखिए।

हर उम्र के लोगों के लिए इसमें कुछ न कुछ है — यंग लव, मिड-लाइफ क्राइसिस या बुजुर्गों का अधूरा प्यार। और सबसे बड़ी बात, ये फिल्म आपको हंसाएगी भी और सोचने पर मजबूर भी करेगी।

⭐ Final Verdict:

Rating: 3.5/5
यह फिल्म उन लोगों के लिए है जो प्यार को Insta quotes में नहीं, जिंदगी के उलझे रिश्तों में ढूँढते हैं।


Post a Comment

0 Comments