Baaghi 4 - New Bollywood Movie Review Hindi | Box Office Collection Review
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Casting / -
Movie Review / मूवी रिव्यू: बागी 4
रेटिंग: ⭐⭐ (2/5)
टाइगर श्रॉफ को युवा पीढ़ी के "एक्शन हीरो" के रूप में पहचान दिलाने में बागी फ्रेंचाइजी की बड़ी भूमिका रही है।
2016 में आई पहली बागी हिट रही, 2018 की बागी 2 उससे भी ज्यादा कामयाब साबित हुई। लेकिन 2020 की बागी 3 कोविड-19 के दौर में वह जादू नहीं चला पाई।
अब, पांच साल बाद फ्रेंचाइजी की चौथी कड़ी बागी 4 सिनेमाघरों में पहुँची है—बिना किसी बड़े प्रमोशन और शोर-शराबे के। और शायद यही वजह है कि फिल्म से ज्यादा उम्मीदें भी नहीं लगाई जा रही थीं… और कहना पड़ेगा, उम्मीदें न लगाना ही सही था।
Story / कहानी
फिल्म की कहानी रॉनी (टाइगर श्रॉफ) से शुरू होती है, जो एक खतरनाक हादसे के बाद सात महीने तक कोमा में रहता है। जब वह होश में आता है तो उसे अपनी प्रेमिका अलीशा (हरनाज संधू) की याद सताने लगती है। लेकिन रॉनी की जिंदगी में हर कोई—उसका भाई (श्रेयस तलपड़े), डॉक्टर और बाकी लोग—ये दावा करते हैं कि अलीशा कभी थी ही नहीं।
यानी, जो भी रॉनी महसूस कर रहा है, वो महज़ एक हैलुसिनेशन है।
इसी बीच उसकी जिंदगी में एक डांसर ओलिविया उर्फ प्रतिष्ठा (सोनम बाजवा) की एंट्री होती है, जो खालीपन भरने की कोशिश करती है।
इंटरवल तक फिल्म यही सवाल घुमाती रहती है—क्या अलीशा सच में थी या रॉनी का वहम है? और आखिर सब लोग रॉनी को झूठा साबित करने पर क्यों तुले हैं?
Screen Play / स्क्रीनप्ले और निर्देशन
बागी फ्रेंचाइजी की खासियत रही है उसका तेज़-तर्रार एक्शन और सीधी-सपाट कहानी।
लेकिन बागी 4 का स्क्रीनप्ले बेहद उलझा और धीमा है। पहले हाफ में रॉनी और उसके "वहम" की कहानी चलती है, और दूसरे हाफ में अचानक संजय दत्त (चाको) की लव स्टोरी का फ्लैशबैक दर्शकों को कन्फ्यूज़ कर देता है।
निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने इस बार लेखन खुद संभाला है, लेकिन लगता है कि रॉनी से ज्यादा वहम में वो खुद हैं।
Action and Music / एक्शन और गाने
बागी फ्रेंचाइजी का USP हमेशा एक्शन रहा है, लेकिन इस बार एक्शन सीक्वेंसेज़ भी ढीले पड़ गए हैं।
‘एनिमल’ जैसी फिल्मों के बाद मास्क पहने गुंडों और कुल्हाड़ी-गंडासे वाले सीन अब कॉमन हो गए हैं, और यहां भी वही दोहराव दिखता है।
संजय दत्त की शादी का सीन सीधे-सीधे बॉबी देओल की शादी वाले सीन की नकल लगता है। गानों की हालत भी कुछ ऐसी ही है—हरनाज पर फिल्माया "ये मेरा हुस्न" दीपिका के "बेशरम रंग" की तरह कॉपी-पेस्ट लगता है।
Acting / अभिनय
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टाइगर श्रॉफ: एक्शन में फिट लेकिन एक्टिंग अभी भी कमज़ोर। वही पुरानी "हीरोगीरी" दोहराई है। 
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हरनाज संधू: डेब्यू के लिए ठीकठाक, लेकिन एक्टिंग पर और मेहनत की ज़रूरत है। 
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सोनम बाजवा: अपने किरदार में प्रभावी। 
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संजय दत्त: बस औसत, रोल ज़्यादा असरदार नहीं। 
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श्रेयस तलपड़े: उम्मीद से कम असरदार। 
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उपेंद्र लिमये: थोड़ी राहत देते हैं। 
Conclusion / निष्कर्ष
बागी 4 न तो कहानी में पकड़ बनाती है, न एक्शन में पहले जैसी धमक दिखाती है। कमजोर स्क्रीनप्ले, कॉपी-पेस्ट सीन और औसत परफॉर्मेंसेज़ इसे एक फीका अनुभव बना देते हैं।
👉 अगर आप टाइगर श्रॉफ के कट्टर फैन हैं या बागी फ्रेंचाइजी से भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं, तो इसे देख सकते हैं। वरना यह फिल्म वाकई समय और पैसे की बर्बादी साबित होगी।
 
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